Saturday, August 25, 2012

आओ यदुकुल सूर्य


-यशोधरा यादव "यशो"

कर्म पर लग गया, अधिकार का पहरा,
आओ यदुकुल सूर्य फिर से, टेरती तुमको धरा,

क्षुद्र अन्तर्द्वन्द्व कैसा, बँध गया हर श्वास में,
घात ही लगने लगा अब, प्यार के विश्वास में।
आ जगत डँसने लगी हैं, भ्रष्टता की व्यालियाँ,
तोड़ डाली हैं घ्रणा ने, म्रदुलता की डालियाँ,
सत्य के संदर्भ में है, झूठ का कचरा,
आओ यदुकुल सूर्य फिर से, टेरती तुमको धरा।

भटकते नैपथ्य में अब, भावना के प्राण,
गिरगिटी पहने मुखौटे, आज हर इंसान
नजर आती हर तरफ, नैराश्य की राहें,
पाप अत्याचार नित, फैला रहा बाहें
नजर आता हर तरफ, दुःशासानी चेहरा,
आओ यदुकुल सूर्य फिर से, टेरती तुमको धरा।

छोड़कर कर्तव्य धामा, अधिकृती दामन,
हो गया कैसा विषैला, कंस का शासन,
अब विचारों में नहीं है, क्रान्ति की झंकार,
लूटती कलुषित हवाएँ, प्रकृति का शृंगार
छा गए हैं गगन में, विषरस भरे बदरा,
आओ यदुकुल सूर्य फिर से, टेरती तुमको धरा।

छल कपट की चल रहा है, चाल दुर्यौधन,
मोह में फँस कर्म भूला, आज का अर्जुन,
आज हो कुरुक्षेत्र में, गीता का अभिसिंचन,
राधिका मधुवन पुकारे, आओ नंद नन्दन,
मन मयूरी पंख का सिर, बाँध कर सेहरा,
आओ यदुकुल सूर्य फिर से, टेरती तुमको धरा।

-यशोधरा यादव "यशो"

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